हमेशा से ही लोगों का सरकारी नौकरी पाने का रुझान रहा है हो भी क्यों ना सरकारी नौकरी वाले व्यक्ति को समाज में अलग से आदर दिया जाता है और साथ में अपनी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता है क्योंकि हर कोई बिज़नेस नहीं कर सकता।लेकिन कोशिश के बाद भी लोग इसको पाने में नाकामयाब हो जाते हैं लेकिन ये आर्टिकल आपके लिए है।
ऐसा नहीं कि आप नहीं पा सकते लेकिन जो लोग नौकरी पाते उनमें ये बात जरूर होती हैं। इसका मनोवैज्ञानिक कारण ये भी होता है कि उनके अंदर सरकारी नौकरी के प्रति एक स्पार्क होता है जो बार-बार उसको नौकरी के लिए प्रेरित करता है। लेकिन ऐसा भी नही है कि आज आपने सोचा और नौकरी मिल गई ऐसा आपके अंदर लंबे समय से चल रहा है कई बार ऐसा होता है कि स्कूल समय में किसी ने बेसिक शिक्षा को सही से नहीं पढ़ा लेकिन इसके बावजूद भी वो अच्छी नौकरी पा लेते हैं। ऐसा मेरे सीनियर छात्र भले सिंह ने किया। स्कूल के समय में पढ़ाई में बिल्कुल मन नही लगता था। कक्षा में आखरी बेंच पर बैठता था और पढ़ाई में भी एक दम फिसड्ड। हर रोज हर विषय में अध्यापकों से पिटाई। किसी न किसी प्रकार से बाहरवीं कक्षा में उतीर्ण हो जाता है। अब वह नौकरी के लिए आवेदन करता है जिससे कि उसे नौकरी मिल जाये। अब वो एग्जाम देने दिल्ली जाता है वहा पर स्टूडेंट्स से मिलता है जो वही एग्जाम देने आ रखें होते हैं जब उनकी बात सुनता है तो आँखे फटी की फटी रह जाती है और मुँह खुला। कोई कह रहा कि में पिछले तीन साल से तैयार कर रहा हूँ तो कोई कह रहा कि घर छोड़े दो साल हो गए। उससे पूछा कि भाई आपकी तैयारी कैसी है तो उसके पास कहने को कुछ नहीं था क्योंकि वह तो वैसे का वैसा टी-शर्ट लोअर में पहुंच रखा था। अब उसने एग्जाम दिया और वहाँ से भले सिंह का दिमाग़ बदल गया और घर पर फोन कर दिया कि अब वो नौकरी पाकर ही घर आएगा वर्ना नहीं।
जिससे उसने अपना सारा सामान घर से मंगवा लिया और आगे की पढ़ाई शुरू कर दी और साथ में नौकरी के लिए भी तैयारी करने लगा। अब उसके दिमाग में एक ही बात थी कि सिर्फ नौकरी। उसने उसी दिन घर छोड़ दिया और पढ़ाई का माहौल बना लिया जिससे कि समय बर्बाद ना हो। अब उसको खाना भी बनाना नहीं आता था जिससे कि उसको बहुत बार आधा भूखा भी रहना पड़ता इसका फायदा एक ये भी था कि जिस कारण नींद कम आती जिससे पढ़ने का समय और मिलता। अब कड़ी मेहनत के बाद नौकरी के लिए आवेदन करने का समय आ चुका था। इसके बाद भले सिंह ने तीन एग्जाम क्रैक किए और उसके बाद उसने उन्होंने फ़ूड विभाग को चुना और इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुए।
ऐसे बहुत से लोग है जिन्होंने एक से ज्यादा नौकरी को फाइट किया और उनको पाया और बहुत लोग ऐसे हैं जो एक नौकरी भी नही पा सकें। जिनसे इसके बारे में बात हुई अंकित यादव,अंशुल भूकल, संजू भाम्भू, सोनू,आदित्य देशवाल, ऐसे बहुत लोग है इस सब में कुछ बात कॉमन थी। जैसे कि घर को छोड़ना, आधी बार भूखा रहना, इमेजिनेशन, अपने लक्ष्य का पीछा करना, पढ़ाई का माहौल तैयार करना।
क्या इस विषय पर पूरी पुस्तक लिखनी चाहिए हमें जरूर बताएं।
जो लोग अपने आप से लड़ते हैं वही कुछ पाते है दूसरों से लड़ने वाले सिर्फ लड़ाई में ही रह जाते है- आर. एस. भाम्भू
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मैं लेखक आर. एस. भाम्भू अपने लेखन कार्य के बल पर समाज में एक अच्छा बदलाव लाने का प्रयत्न कर रहा हूँ जिससे हर व्यक्ति के पास पैसा, शोहरत और खुशी हो इसके लिए लगातार कार्य जारी है।
Really appreciate
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