दुविधा - एक गलती और ज़िन्दगी पूरी।

कई बार हमारी ज़िंदगी में ऐसे लोग आ जाते है जिनको लेकर हम चिंतित रहते है की ये मेरे से बुरा न मान जाएं  कि इसको मैं कैसे मनाऊँ, इसको कैसे विश्वास दिलाऊँ की मैं वैसा ही हूँ या फिर उसको सुधारने की बार-बार कोशिश करता है लेकिन एक कहावत है कि आप कुत्ते की दुम को कितना भी सीधा करो उसे सीधा नहीं कर सकते।


Bad Phase
A Bad Phase

वैसे वो इंसान कोई भी हो सकता हैं किसी की माता, पिता, भाई, बहन, पत्नी, पति या दोस्त। लेकिन ऐसे व्यक्ति को कभी भी कोई विश्वास दिला ही नहीं सकता और अपनी पूरी ज़िंदगी निकल देता है या तो वो नशे का आदी हो जाता है और अपनी ज़िंदगी को बर्बाद कर देता है। ऐसी ही कहानी मेमकला के परिवार की है। एक हँसता खेलता परिवार जो सही से चल रहा था एक दिन लड़के के पिता की मौत हो जाती है और उसकी मां को एक भावुक होने का बहाना मिल जाता है और उनके पिता की पेंशन जिससे कि वह अपना रॉब दिखाने लगी और परेशान करने लगी कभी इस बेटे के पास कभी दूसरे के पास लेकिन जब तक पैसे होते तो दूसरे के पास रहती और खत्म होते ही उसे परेशान करने आ जाती लेकिन इसमें उसके बहु और बेटे की कोई कमी नहीं क्योंकि समाज के डर से ऐसा सहन करते गए। लेकिन अब बेटा बुरी तरह शराब के लग गया और अपने ऑफिस में ही पड़ा रहता और बहू भी बीमार पड़ गई। ऐसे लोगों को इस बात से पीड़ा है कि ये खुश क्यों है अगर वो पहले से ही उनको संस्कारों की दुविधा में दबकर अलग हो जाते तो ऐसा हरगिज नहीं होता।  मेरा मानना है कि किसी भी व्यक्ति के कारण अपनी ज़िंदगी को नर्क नहीं बनाना चाहिए। जो कल हो वो आज ही हो जाये तो अच्छा है। अगर संस्कार से अच्छा सच हो तो उसे अपनाना चाहिए क्योंकि व्यक्ति बोलना नहीं जानता तो वो गलत न होकर भी गलत हो जाता है। ऐसा आजकल हर जगह हो रहा है जिससे लोग अपने आप को बर्बाद कर रहे है।  प्रकृति का एक नियम है नदी हमेशा अपने आप को गंदा होने से बचाती है जब कोई वस्तु हम नदी में डालते है तो उसको वो साथ लेकर नहीं चलती कुछ समय के बाद उसे किनारे लगा देती है। इसी प्रकार कोई व्यक्ति जिसकी वजह से सब परेशान हो तो ऐसा करना लाज़मी हैं वर्ना उसकी वजह से सभी को परेशानी उठानी पड़ती है। अपने वो नहीं जो दिखते हैं अपने वो है जो अपने बारे मैं सोचते हैं। मेरा उद्देश्य अच्छी ज़िन्दगी से है न कि किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ।


किसी बीमार व्यक्ति की सेवा की जा सकती है और गरीब की मदद लेकिन किसी ऐसे व्यक्ति को समझाना मिल के पत्थर से भी परे है जिसने चश्मा ही उल्टा पहन लिया हो-आर. एस. भाम्भू


R S Bhambhu

I'm auhtor R.S Bhambhu. I have written two books till now and I am continuously trying to bring changes in the lifestyle of people so that they can live a good life.

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